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हिंदी ब्लॉगिंग सम्मान

Hindi Blog World
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हिंदी ब्लॉगिंग का संसार नया जरूर है पर जिस प्रकार विविधता अपनाते हुए यह तेजी से विकास कर रहा है, इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है. 2003 से शुरु हुई हिंदी ब्लॉग जगत की यह यात्रा ने 2013 में 10 साल पूरे कर लिए. खुशी की बात यह है कि ये 10 साल समय के बहाव में यूं ही नहीं बीते वरन एक सफलतम इतिहास बनाते हुए बीते. आलोक कुमार द्वारा पहली बार शुरु किया गया यह ‘चिट्ठा’ अब किसी परिचय का मोहताज नहीं. आज यह चिट्ठा हजारों हिंदी भाषी, हिंदी प्रेमियों की पहली पसंद बन चुका है. अपनी बात कहने के लिए मीडिया पर निर्भर रहने या मजबूरी में अंग्रेजी ब्लॉग को अपनाने की जरूरत से हिंदी भाषी पाठकों, साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों को इस हिंदी ब्लॉग ने नई दुनिया दिखाई है जिसे वे बखूबी उपयोग भी कर रहे हैं.




अँग्रेजी की बहुप्रचारित और तेजी से प्रसारित होती भाषाई दुनिया में हिंदी ब्लॉग ने 2003 में पहला कदम रखा जिसका पूरा श्रेय श्री आलोक को जाता है. श्री आलोक ने पहला हिंदी ब्लॉग आलोक ‘नौ दो ग्यारह (Nau Do Gyarah)’ इंटरनेट पर पोस्ट किया. इन्होंने ने ही पहली बार ब्लॉगिंग के लिए ‘चिट्ठा (Chittha)’ शब्द का प्रयोग किया जो आज हिंदी ब्लॉगिंग के लिए एक बहुप्रचलित और सर्वस्वीकृत नाम है. यहां तक कि गूगल (Google) ने भी इसे अपने डिक्शनरी में शामिल कर लिया.




श्री आलोक द्वारा शुरु किया गया यह चिट्ठा 2007 से तब अधिक प्रचलन में आया जब हिंदी में टाइप करने के विविध टूल (Hindi Typing Tools) आ गये. इससे पहले हिंदी में टाइप करना हिंदी ब्लॉगिंग में सबसे बड़ी मुश्किल थी. 2007 में हिंदी टाइपिंग के लिए आसान और उपयोगी टूल ‘यूनिकोड (Unicode)’ आया, साथ ही गूगल ने भी हिंदी ट्रांसलिटेरेशन (Google Transliteration) की सुविधा लाई जिसने कंप्यूटर (Computer) पर हिंदी में टाइप और इंटरनेट (Internet) पर ब्लॉग के माध्यम से पोस्ट करना आसान कर दिया तथा इस्की लोकप्रियता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. तब से हिंदी ब्लॉग जगत में कई जाने-माने नाम उभरकर आए. आज यह अपनी बात कहने के आलावे सूचनाओं के आदान-प्रदान का भी एक सशक्त माध्यम है.




अभी पिछले वर्ष अगस्त 27, 2012 को लखनऊ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगिंग सम्मेलन (International Hindi Blogging Conference) में इलाहाबाद के कृष्णा कुमार यादव एवं उनकी पत्नी आकांक्षा यादव (Krishna Kumar Yadav and his wife Akanksha Yadav) को ‘सदी के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगिंग जोड़ा (Best Blogging Couple of the Decade)’ का अवार्ड (Award) दिया गया. कृष्णा कुमार यादव (Krishna Kumar Yadav) को नवंबर 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव ने भी ‘न्यू मीडिया और ब्लॉगिंग (Blogging) की दुनिया में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (‘Excellence in New Media and Blogging) के लिए ‘अवध सम्मान (Awadh Samman)’ से सम्मानित किया है. श्री आलोक ‘शब्द सृजन की ओर ( Shabd Srijan ki Ore)’ और ‘डाकिया डाक लाया (Daakiya Daak Laaya)’ नाम से दो ब्लॉग चलाते हैं. जून 13, 2008 में शुरु किया गया ‘शब्द सृजन की ओर (http://kkyadav.blogspot.com)’ जहां सूचनाओं, लेखों और मनभावन कविताओं के पोस्ट पर आधारित है वहीं ‘डाकिया डाक लाया (http://dakbabu.blogspot.com)’ पोस्टल सर्विस के इतिहास (history of Postal Services) की जानकारी, पोस्टल स्टांप तथा इसमें महत्त्वपूर्ण यूगदान देने वाले व्यक्तित्वों के बारे में बताता है. इस ब्लॉगिंग में इनका साथ देती हैं इनकी पत्नी आकांक्षा यादव (Akanksha Yadav). आकांक्षा अपना ब्लॉग ‘शब्द शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.com) भी चलाती हैं जिसमें वे सामाजिक मुद्दों, बच्चों से संबंधित ब्लॉग लिखती हैं. इस ब्लॉगिंग जोड़ी ने कई लोगों को हिंदी ब्लॉगिंग के लिए प्रेरणा दी है. इनके ब्लॉग्स न केवल भारत लेकिन विदेशों में भी पढ़े जाते हैं. डाकिया डाक लाया 104 देशों में पढ़ी जाती है जबकि शब्द सृजन की ओर 78 देशों में. शब्द शिखर के भी 81 देशों में पाठक हैं. यह वास्तव में हिंदी ब्लॉग जगत के लिए सीमित दुनिया से इतर एक बड़ा पाठक वर्ग होने का परिचायक है और हिंदी ब्लॉगरों को उच्च कोटि की ब्लॉगिंग के लिए प्रेरित करती है.



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