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ब्लॉग ट्रैफिक बढाने के टिप्स-5

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ब्लॉग लेखन मनुष्य की सर्जनात्मकता का सर्वाधिक आनंददायी पहलू है. एक चिट्ठाकार पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता कि वो क्या लिखे, कैसे लिखे, कितना लिखे. आप चार शब्दों में अपना पोस्ट समेट सकते हैं तो चालीस पेज भी आपके लिए कम हो सकते हैं. इसी तरह, न तो विषयों पर कोई रोक है, और न आपकी शैली पर कोई टोक.


“तो, यदि आप स्वांतःसुखाय ब्लॉग लिख रहे हैं तो आप दुनिया जहान की चिंता आराम से छोड़ सकते हैं. और इस चिट्ठे को भी गोली मार सकते हैं और बिन पढ़े सटक सकते हैं. परंतु…

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परंतु यदि आप चाहते हैं कि आपका लिखा सर्वत्र पढ़ा सराहा जाए, आपके नियमित पाठक आपके नियमित पोस्टों को पढ़ें तो फिर आपको कठिन जतन करने होंगे. इसका कारण है – इस माध्यम की प्रकृति.


जब कोई पाठक पढ़ने के लिए कोई किताब खरीदता है, तो फुर्सत के लम्हे ढूंढता है और फिर उसमें डूब कर पढ़ने की कोशिश करता है. वही पाठक यदि कोई पत्र-पत्रिका पढ़ने के लिए उठाता है तो सुबह के नित्य कर्म या चाय की चुस्कियों और मित्रों के गप सड़ाकों के बीच उसके पन्ने पलटता है. पर जब कोई पाठक किसी ब्लॉग पर विचरण करता है तो वो दूसरी तरफ कई कई सारे काम एक साथ करता होता है – जैसे कि चैट विंडो में चैट कर रहा होता है, ईमेलिया आदान प्रदान करता होता है, कहीं किसी गेम में हाथ आजमा रहा होता है या यू-ट्यूब के किसी वीडियो के बफर पर नजरें जमाया हुआ होता है कि कब ये पूरा हो और वो वीडियो देखे. आपका चिट्ठा इन सब के साथ प्रतिद्वंद्विता में लगा हुआ होता है पाठक का ध्यान खींचने के लिए. तो यदि आपका लेखन पाठक के ध्यान को आकर्षित करने में नाकामयाब होता है तो वो ब्राउज़र के किसी दूसरे टैब पर बिना हिचक भाग लेता है.


एक सफल चिट्ठाकार के लिए, सिर्फ और सिर्फ एक ही नियम है जिसे आपको निभाना है – वो ये है कि आप अपने पाठक के समय का लिहाज रखें. जो कोई भी सलाह आपको मैं यहाँ दे रहा हूं वो इसी नियम को ध्यान में रखते हुए दे रहा हूं.

कुछ चीजें हैं, जिन्हें मैंने ब्लॉगिंग में सीखी हैं वो हैं –

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संक्षिप्तता में गुरूता है

लंबे लंबे वाक्यों, वाक्य विन्यासों, अनुच्छेदों और पृष्ठों से इंटरनेट के पाठकों को डराने का इससे बेहतर तरीका और कोई नहीं है. आपके दोस्त, परिचित तो आपको भले ही झेल लेंगे, मगर एक अजनबी को अपना शिकार क्यों बना रहे हैं? इसलिए जितना बन पड़े अपने लेखन को संक्षिप्त रखें. (फुरसतिया टाइप चिट्ठाकार व पोस्टें इनके अपवाद स्वरूप हैं और रहेंगे, :)*  – रवि) छोटे, आसानी से समझ में आने वाले शब्दों, वाक्यों का प्रयोग करें, ये ध्यान रखें कि हर वाक्य आपकी पोस्ट के लिए जरूरी है, नहीं तो उसे उड़ा दें.


दिखावे से बचें

नए नए लिक्खाड़ अपनी भाषा शैली दिखाने लग जाते हैं. इससे बचें. लोगों को अपनी कहानी बतानी है, किसी मुद्दे पर अपने विचार रखने है तो इसके लिए जटिल, साहित्यिक, पुस्तकीय भाषा की आवश्यकता नहीं है. इसीलिए आपकी भाषा सादा और सरल होनी चाहिए. यदि आपका कोई पाठक ये कहता है कि वाह क्या बढ़िया लाजवाब शैली है आपके लेखन की – तो इसका मतलब ये है कि उसे आपके पोस्ट की विषय वस्तु ने नहीं खींचा है. आप जो कहना चाहते हैं, वो कह नहीं पाए. इसीलिए वो आपकी शैली को देखने व सराहने लग गया. आपका लेखन ब्लॉग पर केंद्रित न हो, बल्कि आप क्या लिख रहे हैं उस पर केंद्रित हो, नहीं तो आपके लेखन के टाइप्ड होते और अंततः एक ही शैली से लोगों को बोर होने में देर नहीं लगेगी. लेखन की शैली को लेखकीय तत्व के सदा पीछे होना चाहिए.


आप क्यों और किसलिए लिख रहे हैं

यदि आप अपने आदर्श पाठक की कल्पना कर सकें कि आप उसके लिए ब्लॉग पोस्टें लिख रहे हैं तो आपका लेखन आसान और आरामदायक हो सकता है. कभी कहीं अटक रहे हों तो ये सोचें कि आप इसे ब्लॉग पोस्ट के रुप में नहीं, बल्कि अपने किसी मित्र को ईमेल भेज रहे हैं. फिर देखिए कि आप इसे कितना जल्दी और कितने सुभीते से लिख सकेंगे.

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पोस्ट में अपने बारे में भी कुछ कहें

नेट पर हजारों लाखों की संख्या में ब्लॉग हैं तो आदमी स्वतंत्र है कि वो क्या पढ़े और किस पर निगाह ही न मारे. पर आपके ब्लॉग में कोई न कोई ऐसी खास बात तो होगी ही. हां, है. वो है आप. अपने ब्लॉग के लिए एकमात्र खास बात, विशिष्ट बात आप हैं. इसलिए हर पोस्ट में छोटा सा ही सही, अपनी बात अवश्य जोड़ें – चाहे वो आपका अपना नजरिया हो, कोई अनुभव हो, या हजारों बार सुना-सुनाया गया कोई चुटकुला ही क्यों न हो. आपका ब्लॉग ही तो है जो आपको बाहरी दुनिया से जोड़ता है तो उसमें आप अपने बारे में अवश्य लोगों को बताएँ.


नियमितता से बड़ा कुछ नहीं

यदि आप चाहते हैं कि आपके ब्लॉग के नियमित पाठकों का बड़ा समूह हो तो आपको भी तो नियमित ब्लॉग ठेलने होंगे. एक बार पाठक को आपके लिखे को पढ़ने में आनंद मिलने लगेगा तो वो बारंबार आपके ब्लॉग पर आना चाहेगा. और चाहेगा कि जब भी वो आए, उसे कुछ न कुछ मिले. अगर उसे एक लाइन भी नया कुछ पढ़ने को मिल जाता है तो वो अगली मर्तबा एक अनुच्छेद की कामना लिए वापस जाता है. इसीलिए, नियमित लिखते रहें.


परंतु ये भी नहीं कि पोस्ट ठेलने के नाम पर कुछ भी अनर्गल भर दें. फिर, यदि आप ब्लॉग लेखन से बोर होने लगेंगे, क्या लिखें यही सोचने लगेंगे तो आपके पाठक भी आपके लिखे को पढ़ कर महाबोर होने लगेंगे और क्यों पढ़ें यही सोचने लगेंगे. आप अपने आपसे जोर जबर्दस्ती से पोस्ट तो लिखवा लेंगे, मगर आपके पाठकों पर तो कोई जोर जबर्दस्ती नहीं है. ऐसे में ब्लॉगिंग से अल्पविराम ले लें.


नए विषयों को आजमाने में डरें नहीं

ब्लॉग एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ आप अपने लेखन में हर किस्म का प्रयोग कर सकते हैं. यदि आपको सन्देह है, तो ट्रिगर दबा ही दें. हो सकता है कि आपके नियमित पाठकों को यह परिवर्तन पसंद आए.


भाषा, वर्तनी पर ध्यान दें

ठीक है कि हिन्दी वर्तनी जांचक नहीं है, गूगल ट्रांसलिट्रेट जैसे औजारों से हिन्दी लिखना कठिन है, मगर भरसक प्रयास करें कि आपकी भाषा शुद्ध हो, वर्तनी की गलतियाँ न हों, यदि भाषा शुद्ध और सरल होगी तो आपके ब्लॉग पाठकों के पठन-पाठन में भी ये सरल रहेंगे.

क्रमश:

साभार: अमित वर्मा

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